Sunday, 12 February 2012
Wednesday, 8 February 2012
...........घर का न घाट का..........
....धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का.....
क्यों की अक्सर ऐसा होता है
की हम दो तर्क के बीच उलझ जाते है,
अक्सर ऐसा होता है.
कभी दो लोगों की वजह से भी ऐसा होता,
समझना ये मुश्किल हो जाता है
कौन सही है और कौन गलत,
असल में ये भी मुश्किल नही है,
हम किसी गलत या सही में ये बता सकते है
और
किसी एक को चुन भी सकते हैं.
लेकिन किन्ही दो सही इंसानों में,
और गलत इंसानों में
सही और गलत का चुनना बहुत मुश्किल हो जाता है.
बहुत ज्यादा....मुश्किल..
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