Monday, 21 February 2022

बुढ़ापा

की वो बहुत अजीब होता है किसी को जवानी से बुढ़ापे पे जाते देखना,
जो नज़दीक से देखा वो हैं माँ बाप, 
और अब जब सब लोग बुढ़ापे की तरफ़ बड़ रहे 
तो एक अजीब सा माहौल रहता है मन  में जो शायद सभी को ना होता हो, 
पर कुछ लोग इसको समझेंगे और शायद ना भी समझे,
 ये उलझा हुआ इस  लिए है क्यू कि लोग  इसका दूसरा पहलू सोचने लगेंगे जो है 
जवानी पर म वापस बुड़ापे में में ही इस को समझना चाहूँगा 
 एक अजीब सा दर्द देखा है, जो महसूस होता है पर आप वो ले नहीं सकते,
अजीब से ख़ुशी की पीछे एक अजीब सी कराहने की आवाज़ जो बंद नहीं हो रही 
एक अजीब सा सन्नाटा जो शांत माहौल को सन्नाटे में बदल देता है,
एक अजीब अनहोनी जो होगी पर उसका दर अजीब सा है, 
एक अकेलापन जो सन्नाटे में चिल्लाता है,  शायद ये सब सोच सिर्फ़ एक सोच है 
या अकेलेपन में खुद को पागल करने की निशानी जो हो  के भी नहीं है
पर ये सब होगा ज़रूर एक वक्त आएगा और इसके  साथ सब को ले जाएगा 
हम तो बस अब सब एक जगह रख रहे हैं, ताकि कल सब ना हो के भी ना कर पाए जैसा महसूस ना हो 
क्यू कि हम तो बस एक उम्मीद हैं, 
और उम्मीद सब से नहि होती ।।।।।  

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