क्या फर्क पड़ेगा
अगर मै कल मर गया तो?
किसी को फर्क पड़ेगा
मै जानता हु किसी को नहीं पड़ेगा, हाँ फिर वो मेरा परिवार ही क्यों न हो
ऐसा गुस्से में नहीं कह रहा, ये हक़ीक़त भी नहीं है
पर ऐसा सिर्फ इस लिए है है क्यों की मै ही कुछ गलत या अलग सोच में हु
शायद नकारात्मक सोच में
पर ऐसा क्यों हो गया
सच कहु तो मै ऐसा बन गया हु एक पल में खुश और एक पल में उदास होने लगा हु
पहले कम होता था अब ज्यादा होने लग लगा हु
पर किसी से कह नहीं सकता, कह क कुछ हो नहीं सकता
मुझे जीने आसान अब मरना लगने लगा है
और एक वक़्त आएगा जब मै ये कर दूंगा
ये कोई मन में बसा खाब नहीं है
पर ये है
मुझे हारना या जीतना ज़रूरी नहीं लग रहा
मुझे जीन ज़रूरी नही लग रहा
पर मरना ज़रूर लग रहा है
हाँ मैंने किसी क लिए कुछ अच्छा नहीं किय होगा
दूसरो की मदत करना सोच था
पर एक। ..............................।
बस अब कुछ अच्छा नहीं है
अच्छा लगता नहीं
मै कुछ कर क क भी खुश हुई हु अब
हु भी तो ज्यादा देर नहीं हु
बस ऐसा क्यों है ये नहीं पता
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