कभी कभी मै कहना चाहता हु, की ..........
Monday, 21 February 2022
बुढ़ापा
Saturday, 3 July 2021
क्या फर्क पड़ेगा
Monday, 5 November 2018
द्वन्द
कभी कभी अजीब रिश्ता ज़िन्दगी में बनता है,
हाँ बनता है हम चाहते नही हैं बनाना पर बनता है,
और वक़्त देने के बाद समझ आता है कि ये होना ही था,
अजीब सी बेचैनी है, और एक सोच की इतने सारे दिनों में एक घटना भी अगर न होती तो क्या ये होता?
या शायद कुछ भी न होता पर ये ज़रूर होता।
अब सोचने से कुछ होगा नही, और सामने वाला कितना समझता है ये तो उसकी हरकते बताती हैं,
फिर भी वो उस द्वन्द में होगा शायद जो नही होना चाहिए, और अगर नही है तो वो क्यों है?
उसके होने के बाद भी नही है तो एक और सवाल की ऐसा क्यों नही है?
Thursday, 28 July 2016
क्या समय सही है?
राजनीति समय आप को क्या क्या दिखता है?
राजनितिक निंदा या परिनिन्द....
क्यों की कोई भी पार्टी अपने ही द्वारा किये हुए बुरे कार्य के लिए कभी सड़को पे नहीं आई और ना ही कभी आएगी.....बीजेपी यू पी में आने क लिए सरे हतकंडे अपनाएगी, सपा सत्ता में रहने क लिए सारी ताकत लगाएगी, वो चाहे i.a.s. जो की शिवपाल यादव क दामाद है उनका तबादला pmo की चिट्ठी से हुआ।
कल तक जो cm हर बात क लिए पूर्व pm को चुप रहना का ताना कस्ते थे आज जो जब pm बन गए तो चुप हैं।।
कल तक जो interview से बिना जवाब दिए आ जाते थे आज वो उनके जवाब पे ताली हो रही है।।
Saturday, 15 December 2012
रिश्ते......
इतना जरूरी है या बहूत जरुरी है.....?
उसे रिश्ते का नाम नही पता, पर प्यार पता है,
और किसी को खुश करने की कोशिश में वो
'उसे ' ही तकलीफ दे रहा है,
प्यार का कोई नाम नही होता ,
पर प्यार का सम्मान जरूरी होता है,
'इंसान के पास प्यार होना चाहिए ,
रिश्ता माएने नही रखता
किसी को अपने जानवर से भी प्यार है,
वो तो फिर भी इंसान है'
कुछ शब्दों के गलत इस्तेमाल से प्यार को खोना आखिर क्या है?
क्या प्यार में शब्दो का इस्तेमाल कितना जरूरी होता है?
सामाजिकता और नैतिकता क्या इतने बुरे शब्द हैं?
सवाल कई हैं जवाब हैं.........
जवाब नही है.....!!

