Friday, 14 October 2011

....कुछ ऐसा ही.........

 रोज मर्रा की ज़िन्दगी में कुछ ऐसे भी लोग मिलते है,जिनको  
देखने से पहले तो आप के दिमाग में 
कई सवाल आते हैं
और उसके बाद अचानक एक आवाज़...
"इसको को तो जनता हूँ मै, या 
ये तो वही है जो उस दिन  देखा था "
और हमे रोज एक ऐसा शख्स मिलता हैं 
जो कि आप के अपने किसी से मिलता हुआ,
या किसी अज़ीज़ की याद दिलाता है.
शायद वो एक सपने की तरह होता है,
या एक याद जो मन में बस जाती है 
और नही जाती है,
नही यादें कभी कहीं नहीं जातीं है,
और शायद इसी लिए शायद.........
वो अज़ीज़ हमें हर रोज़ नज़र आते हैं...
हर रोज़.......... 

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