Monday, 24 October 2011


कुछ दोस्तों की याद में रोया हु
कुछ दोस्तों की वजह से रोया हु

दोस्त वो नहीं जो दोस्ती में काम आये
दोस्त वो ज़रूरत में काम आये

ज़िन्दगी में कुछ लम्हों में बहुत कुछ पाया
ज़िन्दगी में गम के साथ दोखा भी खाया

इतना ज्यादा रोया हु मै यहाँ
आसुओ से प्यास बुझा लिया

हम रो कर भी गम हल्का न कर सके
उन्होंने हस कर हर गम छिपा लिया

No comments:

Post a Comment