Friday, 23 September 2011

....आखिर क्यों?........

एक बहुत पुरानी कहानी हैं..........
......एक राजा था, जो की हीरे और 
जवाहरात का बहोत शौक़ीन था,
उसके पास देश भर के सभी अमीर लोग आते 
और जवाहरात देख कर जाते,
कुछ दिनों बाद राजा को लगा की उसके जेवरात 
कम हो रहे हैं,
राजा ने दखा, उनका मुआइना किया, 
राजा को उसमे जेवरात कम लगे तो 
राजा ने अपने विश्वसीय लोगों को बुलाया 
जिनके बिना सहयोग के राजा कुछ नहीं करता था.
जेवरात तो गयाब हुए पर पता नहीं किसने लिए हैं.
जो लोग देखने आए वो ले कर नही जा सकते 
क्यों की सिपाही थे,
और वो पूरी जांच के बाद ही 
किसी को अन्दर या बाहर आने देते.
तो जवाहरात ले कर कौन गया?
आखिर कौन?
इशारा साफ था वही रजा के विश्वसनीय लोग, जिन्होंने विश्वासघात किया,
सब कुछ होने के बाद भी अगर 
राजा के साथ ऐसा धोखा किया तो क्यों?
क्या उनके पास कोई कमी थी, 
जो की रजा ने पूरी नही की.
या लालच, या मन में छल.
उस राजा के विश्वसनीय में से एक के घर से 
जेवरात मिले, जो की बाहर  बेचता हुआ
पकड़ा गया...................

Thursday, 22 September 2011

.....सज़ा.....

".......कहानी का सूत्रधार तो था मै ,
पर सजा किसी और को मिली.........."
आखिर क्यों, 
क़ानून में भी सजा सिर्फ उसे ही मिलती है, 
जिसने अन्याए किया हो,
पर ज़िन्दगी में होती रोज़ की समस्या का
कोई निदान नहीं होता,
हम जिसकों अपना मानते है 
वो ही हमें छोड़ कर जाते हैं,
क्यों की कोई गैर तो ऐसा नहीं करेगा 
क्यों की वो इतना पास, या 
इतना अज़ीज़ नहीं होगा.
हमें अपनों ने ही धोखा दिया, 
कोई मलाल नहीं, हाँ थोडा सा अफ़सोस जरूर है,
आखिर क्यों, शायद ये एक सजा है, 
पर क्यों? 
ऐसी सजा क्यों?
उसको अपनी गलती का पता तो होना चाहिए, 
तो शायद आगे ऐसी गलती ना करे वो,
लेकिन लोग सिर्फ बदल जाते हैं,
और वो अकेला, अपनी गलती से अनजान, 
या बिना गलती के सजा भुगतता है
आखिर क्यों?

Wednesday, 21 September 2011

.....समय .....

अगर आप से कोई पूछता है
की समय क्या है? 
तो आप का जवाब क्या होगा.....
ऐसा मै नही हूँ जो सिर्फ इस बारे में सोंच के बोल रहा हूँ,
कई और लोगों ने इसके बारे में लिखा है.
और जो मुझे आसन, कम शब्दों में समझ आया,
हो सकता है वो गलत भी हो, 
पर शायद किसी हद तक वो सही है.
....................समय नही है, या
वर्तमान समय जैसा कुछ भी नही है,
जो भी कुछ है वो सब कुछ भूतकाल में हो जाता है,
और भविष्य तो कभी आता  ही नही है,
क्यों की अगर वो आया तो वर्तमान बन कर है,
और वर्तमान तो पल भर क लिए आता है, 
और फिर से भविष्य, 
वर्तमान को छू कर भूतकाल में रह 
जाता है........................

Monday, 19 September 2011

....भरोसा ....या भरोसेमंद......कौन है....

सबसे बड़ी मुश्किल का सामना हमें तब करना पड़ता है,
जब हमें किसी चीज का चुनाव करना पड़ता है.
पर एक विचार है या कहूँ के  सवाल है,
"............एक बुरा इंसान जो हमेशा से बुराई करता हुआ 
आ रहा है, वो हमेशा ही बुरा करेगा, कुछ बी हो जाए.
पर एक नेक इंसान जो कभी गलत काम नही करता 
वो कभी भी बुरे काम करने या उनका साथ देना शुरू कर सकता है,
मनुष्य स्वार्थी  ही पैदा होता है, बुरा इंसान सबक सामने बुरे काम 
करता है, पर एक सीधा-साधा इंसान कभी सामने कुछ नहीं करता.
तो अगर अच्छे या बुरे इंसान में से किसी एक का चुनाव करो  तो
हमेशा बुरे इंसान का...................................."

...इंसान .........


एक इंसान सभी इंसान के लिए अच्छा, सहानभूति, या नेक नहीं हो सकता........
लेकिन....
वही इंसान सभी लोगों के लिए बुरा, बत्तमीज़, या हर्दय्भेदी हो सकता है.........
....ये तो फर्क है इंसानों का, या उन्हें समझने वालो का.......